गुरू मे श्रध्दा बढा़ने के लिए, ध्यान योग शिविर मे जाईये, वहाँ श्रध्दा हो ही जायेगी,...
सिक्का उछालने के बाद, हो सकता है कि चित या पट कोइ ना आये, सिक्का खङा हो जाये, लेकिन ध्यान योग शिविर मे जाने से गुरू मे श्रध्हा हो ही जायेगी निहसंदेह.
(एक बार SONY टीवी सत्संग मे ये सुना )
Important Satsang Points- from my Gurudev Satsang- Sant Shri Asharamji Bapu
गुरुवार, मार्च 08, 2007
Madhur Sangeet
बापूजी पूछे- सबसे मधुर संगीत कौनसा है?
फिर स्वयं ही बताये- श्वासोश्वास मे अजपा गायत्री ...
बन्दर और कुत्ते मे क्या अंतर है, बन्दर को जहाँ घाव होता है वो उसे खुजला कर और घाव बढ़ा देता है और कुत्ता उसे चाट कर ठीककर देता है ऐसे ही जो भूतकाल मे हो गया उसे बार -२ खारोंद्कर घाव नहीं बढ़ाना चाहिऐ, बन्दर कि नाईं । उसको ठीक करने केलिए वर्तमान को जो देख रह है वो मैं हूँ ,- अजपा गायत्री"
७ जगह चित्त द्रवित होता है, वहाँ फिर भूत काल का चिन्तन करता है,.. काम, भय, शोक, क्रोध,.. आदि (सब याद नहीं)
SONY टीवी सत्संग.
फिर स्वयं ही बताये- श्वासोश्वास मे अजपा गायत्री ...
बन्दर और कुत्ते मे क्या अंतर है, बन्दर को जहाँ घाव होता है वो उसे खुजला कर और घाव बढ़ा देता है और कुत्ता उसे चाट कर ठीककर देता है ऐसे ही जो भूतकाल मे हो गया उसे बार -२ खारोंद्कर घाव नहीं बढ़ाना चाहिऐ, बन्दर कि नाईं । उसको ठीक करने केलिए वर्तमान को जो देख रह है वो मैं हूँ ,- अजपा गायत्री"
७ जगह चित्त द्रवित होता है, वहाँ फिर भूत काल का चिन्तन करता है,.. काम, भय, शोक, क्रोध,.. आदि (सब याद नहीं)
SONY टीवी सत्संग.
Jo kuchh bhi tumhe mila hai
जो कुछ भी तुम्हे मिला है, वो तुम्हारा अपना नहीं है. उसे अपना मत समझो, उसे परहित के लिए लगा दो.
आगे बढो.... आगे बढो (औडियो कैसेट से )
आगे बढो.... आगे बढो (औडियो कैसेट से )
Aatmdrishti
देहदृष्टि मे पूरा दुःख दूर करने कि ताक़त नहीं, आत्मदृष्टि से आदमी पूर्ण सूखी होता है। भगवान के समग्र स्वरूप का दर्शन जब तक नहीं हुआ, तब तक देहदृष्टि बनी रहती है । भगवान कहते हैं जो मुझे प्रीतिपूर्वक भजता है उसे मेरे समग्र स्वरूप का दर्शन होता है । जैसे सूर्य का प्रकाश- सूर्य कि सामान्य सत्ता तो सब जगह है , ऐसे ही.. सामान्य रुप से परमात्मा सब जगह है, और साक्षी रुप में वहाँ विशेष रुप में है।
जो जहाँ है वहाँ सुखी नहीं, तो वो वैकुण्ठ मे भी सुखी नहीं।
ज्ञान ही ज्ञान-२ (औडियो कैसेट से )
जो जहाँ है वहाँ सुखी नहीं, तो वो वैकुण्ठ मे भी सुखी नहीं।
ज्ञान ही ज्ञान-२ (औडियो कैसेट से )
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